राजस्थान में एक ऐसी जगह जहां पर श्राद्ध पक्ष में बिना मुनाफे के दिवाली से भी ज्यादा बिकती है मिठाईयां

बिना मुनाफे के किसी भी व्यापार को नहीं किया जाता है. हर कोई व्यापार व्यवसाय मुनाफे के लिए ही करता है. राजस्थान के बीकानेर में श्राद्ध पक्ष के दौरान ऐसी दर्जनों मिठाई की दुकानों को देखा गया जो बिना मुनाफे के केवल लागत मूल्य के आधार पर मिठाइयों की बिक्री करती नजर आई है. ऐसी दुकानों का संचालन सेवा समिति हो और सेवाभावी लोगों के द्वारा किया जा रहा है. शहर के लोग इन्हीं दुकानों से बड़ी मात्रा में मिठाइयों को खरीदते हैं. दिवाली से ज्यादा मिठाइयों की बिक्री श्राद्ध पक्ष में होती है.
इन दुकानों के संचालन करने वाले लोगों का कहना है कि, 7 पक्ष में 200 से ज्यादा दुकाने 8000 किलो से भी अधिक की की मिठाइयां रोजाना बिकती है. शहर के स्थाई रूप से बिकने वाली मिठाइयों को भिन्न में शामिल कर ले तो कम से कम 200 टन से ज्यादा मिठाइयों की खपत हो जाती है.
गोवा के क्षेत्र में ऐसी दुकान का संचालन करने वाले पंडित गायत्री प्रसाद बताते हैं कि, लागत मूल्य पर सेवा के भाव से 15 दिनों तक दुकानों का संचालन किया जाता है. लोग एडवांस बुकिंग भी करवा देते हैं. इन दुकानों के लगने का एक ही उद्देश्य केवल शुद्धता और सेवा का भाव यहां मुनाफा कमाना जरूरी नहीं है, इसीलिए कम लागत पर शुद्ध मिठाइयां यहां पर उपलब्ध होती है.
राजस्थान : मिठाइयों की रही है ज्यादा मांग
श्राद्ध पक्ष के दौरान बीकानेर में इन सभी दुकानों में मोती पाक, दिलखुशाल, पंधारी, गाल के लड्डू, गुलाब जामुन, जलेबी, काजू कतली इन सभी मिठाइयों की डिमांड ज्यादा रहती है. इन मिठाइयों को नो प्रॉफिट नो लॉस के आधार पर बेचा जाता है.
गली–गली दुकानें, परकोटे में ज्यादा
शहर के विभिन्न क्षेत्रों में गली मोहल्ला से लेकर मुख्य कॉलोनी व मुख्य मार्ग में 200 से ज्यादा दुकानों का संचालन होता है. इनमें परकोटा क्षेत्र में सबसे ज्यादा दुकानें लगती है.
कम दाम में अधिक मांग
श्राद्ध पक्ष के दौरान हर घर में मिठाइयों की मांग बनी ही रहती है. लोग अपने पूर्वजों के श्राद्ध तिथि के दौरान ब्राह्मणों को भोजन करवाते हैं. घर में परिवार के सदस्यों के लिए भोजन के रूप में मिठाई जरूर रखते हैं. इस दौरान परंपरा को निभाने के लिए मिठाइयों की मांग बनी रहती है और इन मिठाइयों के दाम भी दुकानों में कम होते हैं.