दो साल पहले सचिन पायलट की बाड़ेबंदी की याद दिलाकर अशोक गहलोत और उनके समर्थक उन्हें गद्दार बोल रहे हैं. वे किसी भी कीमत पर उनको मुख्यमंत्री नहीं बनने देना चाहते. गहलोत के समर्थक विधायकों का आरोप है कि सचिन पायलट ने बीजेपी के साथ मिलकर राजस्थान में सत्ता परिवर्तन की कोशिश की थी. उनकी वफाददारी पार्टी के लिए नहीं बल्कि पद के लिए है.
कांग्रेस के लगभग 85 विधायकों का कहना है अगर गहलोत कुर्सी छोड़ते हैं तो उनके किसी करीबी को ही कुर्सी मिलनी चाहिए. उन्हें सचिन पायलट बिल्कुल भी स्वीकार नहीं हैं. अगर चाहें तो किसी तीसरे को मुख्यमंत्री बना सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक अशोक गहलोत भी यही चाहते हैं. केंद्रीय पर्यवेक्षक बनकर जयपुर पहुंचे अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे न तो सभी विधायकों से बात कर पाए, और न ही अशोक गहलोत ने विधायक दल की बैठक होने दी. उन्हें मायूस होकर दिल्ली वापस आना पड़ा. अब दोनों दिल्ली जाकर सोनिया गांधी से बात करेंगे.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्रीय पर्यवेक्षकों (मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन) को जवाब दिया है कि वह कांग्रेस के वफादार के लिए कुर्सी छोड़ेंगे , किसी गद्दार के लिए नहीं. फिलहाल गहलोत अपना समर्थन दिखाने के मामले को ठंडा रखना चाहते हैं. उनके समर्थकों का कहना है कि कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव के बाद मुख्यमंत्री का फैसला होना चाहिए. इस मामले में कोई जल्दबाजी नहीं चाहिए. अशोक गहलोत और उनके समर्थकों को अब अगले निर्देश का इंतज़ार है. दूसरी तरफ सचिन पायलट ने इस पूरी घटना पर अभी चुप्पी साध रखी है.
रास्थान के नए मुख्यमंत्री को लेकर शुरू हुए इस राजनीतिक संकट को ठंडा रखने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने अब 19 अक्टूबर तक विधायक दल की बैठक न करने का फैसला लिया है. और इस फैसले का कारण अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच छिड़ी ये सियासी जंग है. अब विधायक दल की बैठक कांग्रेस के अध्यक्ष के चुनाव के बाद ही होगी. सभी कांग्रेसी विधायक 19 अक्टूबर के बाद दिल्ली जायेंगे और सोनिया गांधी से मिलेंगे. ऐसा सुनने में आ रहा है कि अशोक गहलोत कांग्रेस के अध्यक्ष के पद के लिए चुनाव लड़ेंगे और सचिन पायलट को मुख्यमंत्री के रूप में चुना जायेगा.
लेकिन इस बगावत के कारण सीएम की कुर्सी सचिन पायलट को मिलते-मिलते रह गयी. बताया जा रहा है की पर्यवेक्षक विधायकों से सचिन को सीएम बनाने की हां कराने की पूरी तैयारी के साथ आये थे, लेकिन गहलोत के समर्थकों ने इसे स्वीकार नहीं किया. फिलहाल सचिन के पक्ष में गिने-चुने विधायक हैं. गहलोत का पलड़ा एक बार फिर भारी है. कांग्रेस के 82 विधायक रविवार को सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की दिशा में इस्तीफ़ा देने की बात कहने राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष सीपी जोशी के आवास पर पहुँच गए थे.