Draupadi Murmu : द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने से गांव वालों की खुशी का ठिकाना नहीं, खुलकर मना रहे जश्न

Draupadi Murmu : देश को अगली राष्ट्रपति मिल चुकी है। ओडिशा की द्रोपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बन चुकी हैं। उनकी इस जीत के बाद से ही उनके गांव मयूरभंज के उबरपेड़ा में लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं है। गांव के लोगों को द्रौपदी मुर्मू पर पूरा विश्वास है। द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह को लेकर भी लोगों में खासा उत्साह है। ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में सभी विकास कार्य एकमात्र द्रौपदी मुर्मू की पहल पर ही हुए हैं।
द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) सादा जीवन व्यतीत करना पसंद करती हैं। वे अक्सर गांव जाती रहती हैं, क्योंकि यहां का वातावरण उन्हें काफी प्रिय है। उनकी जीत से देश भर का आदिवासी वर्ग काफी खुश हैं। भारतीय जनता पार्टी ने अपनी उम्मीदवार की जीत पर आदिवासियों के रहने वाले सवा लाख से ज्यादा गांवों में जश्न मनाने का निर्णय लिया है।

Draupadi Murmu : सबसे कम उम्र में देश का राष्ट्रपति बनने वाली महिला
20 जून, 1958 को जन्मी द्रौपदी मुर्मू सबसे कम उम्र में देश का राष्ट्रपति बनने वाली महिला हैं। ये पहली राष्ट्रपति होंगी, जिनका जन्म आजादी के बाद हुआ है। द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) जीवन में कई कठिन दौर का सामना करते हुए इस मुकाम पर पहुंची हैं। इनके जीवन में ऐसे भी पल आये, जब इन्होंने अपने पति और दो जवान बेटों को अपनी आंखों के सामने दम तोडडते देखा। बावजूद इतने दुखों के वे बिना डगमगाये अपने आदर्शों के रास्ते पर चलती रहीं।

संथाल परिवार की बेटी द्रौपदी मुर्मू ने अपनी स्कूली शिक्षा उपरबेड़ा गांव के ही एक विद्यालय से पुरी की। साल 1979 में भुवनेश्वर के रमादेवी कॉलेज से उन्होंने बीए पास किया। वे अपने गांव की पहली लड़की थी, जिन्होंने ग्रेजुएशन कंप्लीट किया था। पढ़ाई पूरी करने के बाद द्रौपदी की शादी श्याम चरण मुर्मू से करायी गयी, जिनसे वे कॉलेज के समय से प्रेम करती थीं। मुर्मू रायरंगपुर के श्रीअरविंदो इंटिग्रल एजुकेशन सेंटर में शिक्षिका रह चुकी हैं। इसके अलवा उन्होंने सिंचाई और ऊर्जा विभाग में कनिष्ठ सहायिका का पद भी संभाला है।

Draupadi Murmu : जनता की सेवा करने का फैसला लिया
साल 1997 वह समय था, जब द्रौपदी मुर्मू ने जनता की सेवा करने का फैसला लिया। उन्होंने रायरंगपुर नगर पंचायत का चुनाव लड़ा और पार्षद के रूप में जीत हासिल की। इसके बाद वे नगर पंचायत की उपाध्यक्ष भी बनीं। साल2000 में द्रौपदी मुर्मू ने भाजपा की तरफ से चुनाव लड़ते हुए विधायक का पद जीता और अगले चार सालों तक स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री रहीं। साल 2006 में उन्हें भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा की राज्य अध्यक्षा चुना गया।
साल 2010 से 2014 का वक्त द्रौपदी मुर्मू के जीवन का सबसे कठिन समय था, जब उन्होंने अपने दो बेटों और पति को खोया। 2015 में द्रौपदी मुर्मू झारखंड की राज्यपाल बनीं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने जनता के हित में कई विकासमूलक कार्य किये।