.आज हम इस आर्टिकल के द्वारा आप सभी के लिए भारत के राजस्थान के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जिसकी धरोहर, प्राचीनतम संस्कृति, महल, एक अद्भुत छवि लिए हुए हैं। इसके अलावा यह राज्य पर्यटन की दृष्टि से भी एक अलग ही पहचान लिए हुए हैं तो हम जिस राज्य की बात कर रहे हैं उसका नाम है “राजस्थान”। आइए जानते हैं राजस्थान के बारे में जानकारी
राजस्थान का परिचय
राजस्थान के बारे में जानकारी- राजस्थान भारत के उत्तर पश्चिम में बसा हुआ एक बड़ा राज्य है। पर्यटकों का यह एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र भी रहता है। प्रमुख आकर्षण में यहां विशाल थार रेगिस्तान, दुनिया की प्राचीनतम स्मारक रेंज अरावली पर्वतमाला मौजूद है। यहां पर मंदिरों में, महलों पर दिखने वाली राजपूताना विराट की स्थापत्य कला देखने को मिलती है। राजपूत राजा जैसे बप्पा रावल राणा, कुंभा राणा सांगा, राणा प्रताप ने बहुत से मंदिर किलो महलों का भी निर्माण किया था। राजस्थान राज्य का इतिहास लगभग 5000 साल पुराना है।
राजस्थान का इतिहास एवं संस्कृति
राजस्थान का इतिहास एवं संस्कृति को देखा जाए तो तीन भागो में विभाजित किया गया है। प्राचीन काल मध्यकालीन और आधुनिक काल प्राचीन काल का समय 1200 ईसा पूर्व तक रहा है। जिसमें राजपूत वंश की उत्पत्ति हुई थी। इससे पहले राजस्थान बहुत से गण राज्यों में भी बढ़ चुका था। मौर्य साम्राज्य का भाग भी राजस्थान बन चुका है।
राजस्थान हमारे देश का बहुत ही प्रसिद्ध ऐतिहासिक केंद्र माना जाता है। इसका कारण भारत के राजा महाराजाओं की भूमि राजस्थान के कई राजाओं के शासनकाल में प्रत्यक्ष प्रमाण के रूप में देखी जाती है। राजस्थान की धरती राजा महाराजा और रण में लड़ने वाले वीर पुत्रों की कही जाती है। Also Read- राजस्थान के इन शहरों में 24 सितंबर तक होने वाली है अग्नि वीरों की भर्ती
राजस्थान का अर्थ
राजस्थान का सही अर्थ “राजाओं का निवास” कहा जाता है, क्योंकि इसमें पहले राजा महाराजाओं का निवास हुआ करता था। एक बहुत बड़े पैमाने पर यहां पर राजपूत लोग रहते थे। एक तरह से इसको राजपूतों का देश भी कहा जाता है। इसके अलावा आप हिंदू धर्म के प्रसिद्ध ग्रंथ रामायण के रचेता बाल्मीकि के द्वारा भी आप राजस्थान का उल्लेख मरु कान्तार के अंदर भी देख सकते हो।
राज्य सदियों से राजपूत राजाओं की ही भूमि रही है। जिसकी वजह से कुछ लोग राजस्थान का पुराना जो नाम रह चुका है, उसी नाम से इसको आज भी जानते हैं। राजस्थान का पुराना नाम राजपूताना हुआ करता था। इतिहासकारों की मानें तो सबसे पहले जॉर्ज थॉमस के द्वारा 1800 ईस्वी में राजपूताना शब्द का प्रयोग किया गया था तभी से ही इसको राजपूताना भी कहते हैं।
राजस्थान की भूमि पर बहुत से युद्ध और शासकों के शासन की उठापटक के लिए भी जानी जाती है। यहां पर राजपूत राजाओं ने अपनी धरती के लिए दुश्मन से अपने प्राणों की बाजी तक लगा दी व बड़ी बहादुरी से उन सभी का सामना किया। इसके अलावा रानियों के द्वारा भी यहां जोहर परंपरा को अच्छे से निभाया गया था। जो कि अपने आप में बहुत बड़े त्याग बलिदान,असीम साहब का परिचय देती है।
आजादी से पहले यहां पर लगभग 2 दर्जन से भी ज्यादा की देसी रियासते भी हुआ करती थी। लेकिन सन 1997 में जब भारत आजाद हुआ तो सभी रियासतें भारत में विलय हो गई थी। तभी से इस देश का नाम राजस्थान रखा था।
राजस्थान की परंपरा और संस्कृति
प्राचीन काल से ही राजस्थान को सांस्कृतिक ऐतिहासिक और कलात्मक विरासत के रूप में जाना जाता है। यहां पर महान राजाओं का गौरवशाली इतिहास पूरे विश्व में अपनी एक अलग ही पहचान भी हुए हैं। राजस्थान राज्य में आप मारवाड़ी, सिंधी, राजपूत, गुजराती, बंजारा, जीवन शैली का एक अद्भुत संगम देख सकते हो। यहां पर गुर्जर बंजारा समुदाय के लोग बहुत सालों से रह रहे हैं।
यहां पर आपको अलग-अलग धर्मों के लोग जैसे हिंदू मुस्लिम, सिख, इसाई को भी देख सकते हो। जो कि साल भर में आने वाले सभी त्योहारों को एक साथ धूमधाम से मनाते हैं। यहां पर प्राचीन हिंदू सभ्यता से जुड़े पुरातत्व अवशेष भी मिले हैं। यह सभी अवशेष कालीबंगन नामक जगह से मिले हैं। इससे साफ पता लगाया जा सकता है कि राजस्थान की शैली एक समृद्ध जीवन शैली के अस्तित्व में मौजूद रह चुकी है।
राजस्थान में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा जाली है इसके अलावा यहां पर सिंधु, गुजराती, मारवाड़ी, उर्दू, अंग्रेजी इन सभी भाषाओं को भी बोलने वाले लोग रहते हैं। राजस्थान राज्य को समृद्ध शाली बनाने में राणा सांगा, पृथ्वीराज चौहान, महाराणा प्रताप, गुर्जर प्रतिहार वंश के राजाओं का एक बहुत ही अनमोल योगदान रह चुका है। मुख्य रूप से राजस्थान में राजपूत, गुर्जर, मारवाड़ी, सिंधी इत्यादि लोग रहते हैं। राजस्थान से जुड़े होने के पुख्ता सबूत ऐतिहासिक दस्तावेजों से इन लोगों को मिल चुके हैं।
इसके अलावा राजस्थान में हिंदू धर्म में मौजूद वैष्णव, शाक्त,नाथ संप्रदाय के लोग भी आदिकाल राज्य के अंतर्गत मौजूद रह चुके हैं। मुस्लिम धर्म के प्रसिद्ध संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह अजमेर शरीफ में है और यह इनका अधिवास भी माना जाता है।
राजस्थानी कला पूरे विश्व में बहुत सराहनीय रही है क्योंकि यहां पर लकड़ी पर कारीगिरी, संगमरमर पत्थर कारीगिरी, चित्रकला, रेत पर कारा गिरी हस्तकला इन सब को शामिल किया गया है। राजस्थान राज्य में बंजारा, गुर्जर, राजपूत सभ्यताओं और मान्यताओं का भी प्रभाव आप देख सकते हैं। यहां की मौजूद जीवन शैली में आपको आधुनिकता और पारंपरिक भारतीय संस्कृति के मेलजोल का भी दर्शन देखने को मिलेगा।
घूमर नृत्य राजस्थान का लोक नृत्य है और यह पारंपरिक नृत्य के रुक जाना जाता है। विश्व स्तर पर घूमर नृत्य एक अलग ही पहचान लिए हुए हैं। Also Read- राजस्थान में एक ऐसी जगह जहां पर श्राद्ध पक्ष में बिना मुनाफे
राजस्थान के भोजन प्रकार
राजस्थान के भोजन को सभी राज्यों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। भारत का कोई भी राज्य चाहे मध्य प्रदेश, गुजरात,महाराष्ट्र आदि हो सब में स्वादिष्ट भोजन राजस्थान का होता है। यहां आप अलग-अलग तरह के व्यंजन देख सकते हो। खाने में सभी बहुत अच्छे व टेस्टी होते हैं। आप अपनी रोजाना की लाइफ में भी कम से कम चार पांच व्यंजन तो ऐसे हैं। जिनके बिना भोजन अधूरा होता है।
सबसे महत्वपूर्ण राजस्थान के भोजन में मट्ठे के बिना यहां का खाना बिल्कुल अधूरा माना जाता है। राजस्थान के प्रसिद्ध व्यंजनों में से दाल बाटी चूरमा, बाजरे की रोटी, गट्टे की सब्जी, मूंग का हलवा घेवर, मालपुआ टमाटर लहसुन की चटनी, दूधिया की इत्यादि बहुत से ऐसे व्यंजन है, जिनको खाकर शायद आपके मुंह में पानी आ जाए और अगर आप एक बार इन सभी व्यंजनों में से किसी को भी देख लो तो देखने मात्र से भी आप उस व्यंजन को खाए बिना नहीं रह सकते हैं।
राजस्थान के खाने की एक अलग ही बात होती है। इसके अलावा यहां का खाना बहुत ही तीखा चटपटा होता है। लहसुन की चटनी के बिना तो यहां पर खाने को अधूरा माना जाता है।
राजस्थान के लोगों का पहनावा
राजस्थान के लोगों की वेशभूषा बहुत ही रंग बिरंगी अलग ही प्रकार की है। मुख्य रूप से यहां महिलाओं की वेशभूषा की अगर बात की जाए तो महिलाएं घाघरा चोली ओढ़नी इत्यादि पहनती है। इसके अलावा समय के बदलाव के साथ-साथ अब महिलाएं साड़ी और सूट में भी नजर आती है, क्योंकि यहां अधिकतर प्रचलन साड़ी पहनने का ही होता है। पहले के समय में तो महिलाएं अक्सर घाघरा चोली या लहंगा चुन्नी पहना करती थी।
इसके अलावा सुंदर वस्त्रों के साथ-साथ या अलग-अलग परंपरागत आभूषणों का पहनावा भी होता है। बंजारा समाज के लोग नेकलेस झाड़ू सेट, आड़, रानी हार, कानबाली, नथनी, बाजूबंद, रखड़ी, तगड़ी, पायल, बिछुआ चूड़ी इत्यादि पहनते है।
यहां पुरुषों के पहनावे की अगर बात की जाए तो मुख्य रूप से धोती अंगरखी या फिर कुर्ता पजामा पहनने का प्रचलन अधिक मात्रा में है इसके अलावा सिर पर पगड़ी बांधने का प्रचलन तो जैसे नॉर्मल सी बात हो गई है राजस्थानी पुरुषों में पकड़ी पहनावा सम्मान और परंपरा का प्रतीक माना जाताहै।
पुरुषों के कानों में बाली पहनने का प्रचलन भी बहुत देखने को मिलेगा खास पहचान के रूप में आप पुरुषों के कान में बादलों को देख सकते हो आधुनिक समय में तो आजकल पुरुष वर्ग के लोग टी शर्ट, शर्ट, जीन्स, पेंट, ट्राउजर इत्यादि पहनावा पहन लेते हैं। यह सभी पहनावे आप शहरी क्षेत्रों में देख सकते हो। ग्रामीण क्षेत्रों की अगर बात की जाए तो आज भी गांव में लोग जो पुराने समय से उनका पहनावा चला आ रहा है जो कि वो लोग वही चीजें पहनते हैं।
राजस्थान का पर्यटन
पर्यटन की दृष्टि से राजस्थान राज्य भारत के सभी राज्यों में एक बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भारत के राज्य में जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर, जैसलमेर, जैसे ये सभी जिले बहुत ही ऐतिहासिक नगर के रूप में जाने जाते हैं। राजस्थान में भव्य सुंदर हवेलियां पुराने के लिए और भी अन्य विरासत की जो चीजें हैं। वह अनुपम और दर्शनीय होती है। इनको देखने के लिए हर साल लाखों की संख्या में पर्यटन राजस्थान में आते हैं।
यहां पर जो सालाना आय में सरकार को मुनाफा सबसे ज्यादा होता है वह पर्यटन विभाग से ही होता है। इसकी मुख्य वजह यह रही है कि यहां पर सुंदर वास्तु कला, भवन,महल, प्राकृतिक सुंदर स्थल और ऐसे बहुत ही धार्मिक स्थान है। जिनकी वजह से अधिकतम संख्या में लोग यहां घूमने आते हैं। सबसे अधिक घूमने वाली जगह में आप जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर और भी बहुत ही जगह है, जिन में आप घूम सकते हो।
धार्मिक दृष्टि से भी राजस्थान में बहुत से ऐसे दर्शनीय तीर्थ स्थल हैं। जिनको देखने के लिए लाखों की संख्या में रोजाना लोग दर्शन करने आते हैं। जैसे जयपुर में गोविंद देव जी का प्रसिद्ध मंदिर, देलवाड़ा का जैन मंदिर, अजमेर में ख्वाजा शरीफ की दरगाह, पुष्कर में ब्रह्मा जी का मंदिर, करणी माता का मंदिर आदि सभी जगह बहुत ही प्रसिद्ध है।
सभी धार्मिक स्थानों पर आपको एक अद्भुत कला शैली देखने को मिलेगी। जो अपने आप में एक अलग ही पहचान लिए हुए हैं। यह सभी धार्मिक स्थल भी आज के नहीं बने हुए यह बहुत ही प्राचीनतम बने हुए हैं।
राजस्थान के बारे में जानकारी- FAQ’s
Q.1 राजस्थान की स्थापना कब हुई?
30 मार्च 1949
Q.2 विश्व प्रसिद्ध ब्रह्मा जी का मंदिर कहां पर है?
पुष्कर में
Q.3 पिंक सिटी किसे कहते हैं?
जयपुर को
Q.4 राजस्थान का लोक नृत्य कौन सा है?
घूमर
Q.5 राजस्थान के प्रसिद्ध व्यंजन कौन-कौन से हैं
दाल बाटी चूरमा, गट्टे की सब्जी, घेवर, कैर सांगरी लहसुन की चटनी आदि