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Mythological Pagodas Of Rajasthan : राजस्थान के इन पौराणिक शिवालयों में सावन के महीने में लगता है श्रद्धालुओं का तांता, रोचक हैं पौराणिक कहानियां

Mythological Pagodas Of Rajasthan : राजस्थान के इन पौराणिक शिवालयों में सावन के महीने में लगता है श्रद्धालुओं का तांता, रोचक हैं पौराणिक कहानियां

आज से हिंदुओं के पवित्र महीने सावन की शुरूआत हो गयी है। इस महीने लोग महादेव को खुश करने के लिये विभिन्न शिवालयों में जाकर उनका अभिषेक करते हैं। मान्यता है कि जो भी सावन के महीने में सच्चे मन और विधि-विधान से भोलेनाथ की पूजा करते हैं, उन सब पर देवाधिदेव महादेव जल्द प्रसन्न होते हैं।

आज के इस आर्टिकल में हम आपको राजस्थान में कई शिवालयों (Mythological Pagodas Of Rajasthan) के बारे में जानकारी देने वाले हैं।

Mythological Pagodas Of Rajasthan : इस प्रकार है वो मंदिर

अचलेश्वर महादेव मंदिर
राजस्थान के धौलपुर स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर में हर दिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। सावन के महीने में इस मंदिर के दर्शन को काफी पुण्यकारी माना गया है। अचलेश्वर महादेव मंदिर (Mythological Pagodas Of Rajasthan) कि विशेषता है कि इस मंदिर में भगवान शिव के पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है। इसके साथ ही कहते हैं कि राजस्थान के धौलपुर स्थित अचलेश्वर महादेव दिन में तीन बार रंग बदलते हैं।

सुबह के समय शिवलिंग लाल, दोपहर में केसरिया और रात को श्याम वर्ण में नजर आते है। इस मंदिर में भगवान शिव के वाहन नंदी की बहुत बड़ी मूर्ति है, जिसका वजन लगभग 4 टन के बराबर है। इसमें सोना, चांदी, तांबे, पीतल और जस्ता मिलाया गया है। अपने अद्भुत चमत्कार के साथ ही लोगों की मनोकामना पूर्ण करने के लिए भी महादेव के इस मंदिर का विशेष महत्व है।

Mythological Pagodas Of Rajasthan

शिवाड़ के घुश्मेश्वर महादेव
सावन के महीने में शिवाड़ के प्रसिद्ध घुश्मेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। सवाई माधोपुर जिले में स्थित इस मंदिर को राजस्थान का ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है। बताया जाता है कि किसी समय यहां सुदर्मा नामक एक ब्राह्मण निवास करता था। उस ब्राह्मण की पत्नी का नाम सुदेहा था, जिसकी कोई संतान नहीं थी। संतान प्राप्ति के लिए सुदेहा ने अपनी छोटी बहन घुश्मा का विवाह सुदरेमा से कर दिया। घुश्मा महादेव की भक्त थी। जब घुश्मा को पुत्र की प्राप्ति हुई तो ईर्ष्या में सुदेहा ने घुश्मा के पुत्र को मार कर सरोवर में फेंक दिया।

जब घुश्मा वहां पुजा करने गई तो भगवान शिव साक्षात प्रकट हुए और पुत्र को जीवनदान देकर वरदान मांगने को कहा तो घुश्मा ने भगवान शंकर से यहां अवस्थित होने का वर मांग लिया। कालांतर में जब यहां खुदाई हुई तो अनेक शिवलिंग निकले थे। ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक यहां महमूद गजनवी ने भी आक्रमण किया थाय़ गजनवी से आक्रमण करते हुए युद्ध में मारे गए स्थानीय शासक चन्द्रसेन गौड और उसके पुत्र इन्द्रसेन गौड के यहां स्मारक मौजूद है।

Mythological Pagodas Of Rajasthan : ये है कुछ अन्य महत्वपूर्ण शिवालय

झाड़खंड महादेव मंदिर, जयपुर
राजस्थान की राजधानी जयपुर के वैशाली नगर के पास प्रेमपुरा गांव में स्थित है झाड़खंड महादेव मंदिर (Mythological Pagodas Of Rajasthan)। बताया जाता है कि एक समय यहां बड़ी संख्या में झाड़ियां ही झाड़ियां हुआ करती थी। झाड़ियों से झाड़ और खंड अर्थात क्षेत्रको मिलाकर इस मंदिर का नाम झाड़खंड महादेव मंदिर पड़ा। साल 1918 तक यह मंदिर बहुत छोटा हुआ करता था। यहां शिवलिंग की सुरक्षा के लिए मात्र एक कमरानुमा शिवालय बना हुआ था।

इस मंदिर का निर्माण दक्षिण भारतीय शैली में किया गया। हालांकि, मंदिर का केवल मुख्य द्वार ही दक्षिण भारतीय मंदिरों जैसा है. अंदर गर्भगृह उत्तर भारतीय मंदिरों से ही प्रेरित है। सावन के प्रत्येक सोमवार को यहां श्रद्धालुओं की कतारें लगी रहती हैं।

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सिरोही के सारणेश्वर महादेव
सिरोही का सारणेश्वर महादेव मंदिर भी आस्था का केन्द्र है। यह मंदिर कट्टर शासक अलाउद्दीन खिलजी के भी पीछे हटने पर मजबूर होने का कारण बना था। बताया जाता है कि इस मंदिर के पीछे की बावड़ी के जल से खिलजी के शरीर का रोग दूर हुआ था। उसके बाद उसने इस मंदिर में तोड़फोड़ करने की हिम्मत नहीं की।
इस मंदिर (Mythological Pagodas Of Rajasthan) के पीछे पहाड़ों के बीच पानी बहता है, जिसे शुक्ला तीज तालाब के नाम से जाना जाता है, जबकि सामने वैजनाथ महादेव का मंदिर है।

Mythological Pagodas Of Rajasthan

जलंधरनाथ महादेव मंदिर
जालोर के दुर्ग पर स्थित महादेव मंदिर (Mythological Pagodas Of Rajasthan) में सोमनाथ के शिवलिंग का अंश को पूजा जाता है। इस मंदिर को सोमनाथ महादेव के नाम से भी जानते है। जालोर के इतिहास के अनुसार 13वीं शताब्दी में जालोर में राजा कान्हडदेव सोनगरा चौहान के शासनकाल के समय अलाउद्दीन खिलजी सोमनाथ आक्रमण के बाद जालोर होकर गुजरा था।

सोमनाथ में खिलजी ने कई महादेव मंदिरों में लूटपाट की थी, जिसके बाद जालोर के दुर्ग पर भी खिलजी ने आक्रमण किया और उस दरम्यान सोमनाथ महादेव के शिवलिंग का एक अंश यही पर छोड़ दिया। वही शिवलिंग आज दुर्ग स्थित जलंधरनाथ महादेव मंदिर में पीछे वाले प्राचीन मंदिर में एक विशेष प्रकार का शिवलिंग सोमनाथ महादेव के रुप में पूजे जाते है।

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आपेश्वर महादेव (रामसीन)
जालोर के आपेश्वर महादेव में शिव प्रतिमा की पूजा होती है। इस आदमकद प्रतिमा का दर्शन मनोहारी हैं। आपेश्वर महादेव (Mythological Pagodas Of Rajasthan) की यह आदमकद मूर्ति विक्रम संवत 1318 में एक खेत में हल चलाने के दौरान मिली थी। दंतकथाओं के अनुसार मूर्ति के आपोआप प्रकट होने से इनका नाम आपेश्वर महादेव पड़ा। पैराणिक कथा के अनुसार त्रैतायुग में भगवान श्री राम ने वनवास के दौरान अनुज लक्ष्मण व माता सीता के साथ विश्राम किया था। इससे गांव का नाम रामसेन पड़ा तथा बाद में धीरे धीरे इसे रामसीन के नाम से पुकारा एवं पहचाना जाने लगा।

सलारेश्वर महादेव मंदिर
डूंगरपुर के चौरानी विधानसभा में भी भगवान शिव के मंदिर (Mythological Pagodas Of Rajasthan) में सावन के मौके पर भारी भीड़ उमड़ती है। इस सलारेश्वर महादेव मंदिर में शिवभक्त संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते है और जिस भक्त की इच्छा भगवान भोलेनाथ पूरी करते है वह भक्त पत्थर से बने नंदी को मंदिर में चढ़ाते है।

Vishal Singh

My name is Vishal Singh Rajawat, I am 24 years old and I am a content writer. I have experience in writing sports, Bollywood, lifestyle and other articles. For the past couple of years I have been a consistent contributor to multiple newspapers and magazines.

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