पोंगल एक ऐसा पर्व है, जो खुशी और समृद्धि का प्रतीक है ,पोंगल दक्षिण भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये मुख्य रूप से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में मनाया जाता है। पोंगल के त्योहार को दक्षिण भारत में नव वर्ष के शुभारंभ में सूर्य के उत्तरायण होने पर मनाया जाता है। सुख और समृद्धि का प्रतीक पोंगल का त्योहार दक्षिण भारत में जनवरी के मध्य बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है,पोंगल तमिलनाडु में चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है ।
इस दिन तमिल नववर्ष का आरंभ भी होता है। पोंगल पर खीर बनाकर सूर्यदेव को भोग लगाने का भी विधान है ,इस दिन भगवान सूर्यदेव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है, और इस दिन लोग समृद्धि लाने के लिए वर्षा, धूप, सूर्य, इंद्रदेव और खेतिहर पशुओं की पूजा-आराधना भी करते हैं, पोंगल का यह पर्व 15 जनवरी 2023 को मनाया जाएगा ।
पोंगल का पर्व आस्था और संपन्नता का प्रतीक माना जाता है, चार दिन तक चलने वाले इस पर्व में प्रत्येक दिन का अपना अलग ही महत्व होता है। पोंगल के पहले दिन इंद्र देव की पूजा की जाती है। इस पूजा को भोगी पोंगल के नाम से जाना जाता है। इस दिन वर्षा के लिए भगवान इंद्र का आभार प्रकट करते हुए जीवन सुख और समृद्धि की कामना की जाती है। पोंगल के पहले दिन लोग अपने पुराने हो चुके सामानों की होली जलाते हैं,और नाचते गाते हैं। पोंगल पर्व के दूसरे दिन सूर्य देवता की पूजा की जाती है। इस दिन एक विशेष खीर बनाई जाती है, जिसे पोंगल खीर कहा जाता है । तीसरे दिन पशुओं की पूजा होती है।
इसे मट्टू पोंगल के नाम से जाना जाता है। इसमें लोग मट्टू यानी बैल की विशेष रूप से पूजा करते हैं। चौथा दिन पोंगल पर्व का आखरी दिन होता है। इस दिन को कन्या पोंगल के रूप में मनाया जाता है। इस दिन घरों को फूलों और पत्तों से सजाया जाता है। आंगन और घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती है। कन्या पूजन कर लोग एक-दूसरे को पोंगल की बधाईयां देते हैं, और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।