Pongal Festival Mythologies:– राजस्थान में संक्रांत कहें,असम में माघ-बिहू या तमिलनाडु में पोंगल,ये सभी त्योहार अपने आप में विशेष हैं,और इनका अपना-अपना महत्व है। इसी तरह पोंगल का भी अपना एक महत्व है ,और अपनी कुछ पौराणिक विचारधाराएं भी है, जो इस पर्व को विशेष बनाती है। इसके पीछे दो पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जो भगवान शिव और भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी है। उनका वर्णन कुछ इस प्रकार है:-

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पोंगल की भगवान शिव से जुड़ी पौराणिक कथा:-

पोंगल पर्व की पहली कथा भगवान शिव से जुड़ी हुई है, एक बार भगवान शिव ने नंदी को स्वर्ग से पृथ्वी पर संदेश को देने भेजा था । भगवान शिव ने नंदी से कहा कि जाओ, पृथ्वी लोक पर सभी मनुष्यों से कहना कि रोजाना तेल से स्नान करना चाहिए और महीने में सिर्फ एक दिन खाना खाना चाहिए । नंदी ने लोगों को इसके विपरीत संदेश दिया कि मनुष्यों को रोजाना खाना खाना चाहिए और एक दिन तेल से स्नान करना चाहिए. इससे शिवजी नाराज हो गए और उन्होंने नंदी को श्राप दे दिया कि उन्हें अनाज की पैदावार के लिए मनुष्य की मदद के लिए हल जोतना पड़ेगा. मान्यता है कि तब से पोंगल पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है. पोंगल के दिन अच्छी फसल की पैदावार के लिए भगवान को धन्यवाद अर्पित करते हैं और बैलों की पूजा भी करते हैं ।

पोंगल की भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी पौराणिक कथा:

पोंगल की दूसरी कथा भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई है. एक समय भगवान इंद्रदेव को इस बात पर घमंड आ गया था कि उनके बिना खेती कर पाना संभव नहीं है. इसलिए लोग उनकी पूजा करते हैं ताकि अच्छी बारिश होने से फसल की अच्छी पैदावार हो. जब यह बात श्रीकृष्ण को पता चली तो उन्होंने सभी ग्वालों को इंद्रदेव की पूजा करने से रोक दिया. इससे इंद्रदेव क्रोधित हो उठे और उन्होंने द्वारका नगरी पर तीन दिन तक लगातार बारिश की, इससे द्वारका नगरी में रहने वाले ग्वालों पर संकट आ गया. इसके बाद श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया. तब जाकर इंद्रदेव का अभिमान टूटा और उन्होंने बारिश रोक दी । इसके बाद इंद्रदेव ने फिर से नई फसल उगाई. कहते हैं ,तभी से तमिलनाडू में पोंगल त्योहार को मनाया जाने लगा ।

“मीठे पोंगल पर्व की ही तरह,
आपका सारा जीवन अच्छा रहे,
आपका भाग्य हमेशाआपके साथ रहे”
HAPPY PONGAL 2023

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